लड़की
लड़की
हा मैं लड़की हूँ
ना कायर, ना मैं बेचारी हूँ
चाहे तुम कहो कुछ भी
मैं अपनी ही दुलारी हूँ
हा मैं लड़की हूँ।।
ना मैं किसी पर बोझ हूँ
ना गुडीयाँ , ना मैं कठपुतली हूँ
चाहे तुम कहो कुछ भी
मैं अपनी ही ज़िम्मेदारी हूँ
हा मैं लड़की हूँ।।
ना मैं ज़िंदगी पर दुःखी हूँ
ना बेजुबान, ना मैं बिखरी हूं
चाहे तुम कहो कुछ भी
मैं अपनी ही संगीनी हूं
हा मैं लड़की हूँ।।
ना मैं स्पर्श कि मोह ताज हूँ
ना लाचार, ना मैं अविचारी हूँ
चाहे तुम कहो कुछ भी
मैं अपनी ही दीवानी हूँ
हा मैं लड़की हूँ।।
Pradnya Khot
This poem is about:
Me